संकर रुख अवलोकि भवानी। प्रभु मोहि तजेउ हृदयँ अकुलानी।।
आय हाय हाय... शंकर जी के राम के बाल रूप में बिलमल देखी भवानी जी के डाह होता । तुलसीओ बाबा गज्जिबे लिखले बाड़ें ।
दुआर पे चौकी बिछल रहे... गदहबेर के समय... गांवही के 3-4 जाना के साथे चर्चा चलत रहे । शुकन सिंह हमार हरवाह हवें... कान से तनी उंच सुनेले । देह दाशा के दुबर पातर बाकी बड़ खटनिहार... उहो किनारे बइठ के ना जाने केतना सुनत रहन आ केतना गुनत रहन बाकी अचानके पूछ देलन - ए बाबा, आज देउठान ह का दो... ई का हो ला ए देवता ?
काल्हे अंवरा त अक्षय नवमी के कथा कहले रहीं। सीधा में ढेर ठेकुआ आ कचवनिया मिलल रहे । उहे एगो प्लेट में सबहरिए रखाइल रहे । बतकही के साथे पगुरियो चलत रहे । अब शुकन चाचा के आग्रह कइसे टलाव ... आ ओपे आउरो लोग के कहनाम कि हाँ ए बाबा, सुनाइए दीं ।
हमहूँ सुरू भइनी-
कार्तिक के महिना में हमार आजी रोज भिनसारे दुआर पर शिवाला के इनार पे नहास... ओहिजे तुलसी जी के दीया बारस...
हमरा बड़ा जबुन बुझाए कि हेतना फजिराहे इ पूजा कइला के का काम बा ? बाकी एतना मालुम रहे कि
एही दिनवें ऊख चुसेके भी बरत आवेला |
आजी पूजा करिहें... तुलसी महारानी के...
बियाह करायिहें शालिग्राम से... ऊख के माड़ो गड़ाई... तुलसी के गाछ के औरतन जईसन सजावल जाई |
चूड़ी टिकुली सेनुर सभे टिकाई ... लाल चुनरी ओढा के नवकि कन्या बना देहल जाई |
मजगर खेल रहे हमरा खातिर... फेर घर भर के लोग गीत गाई-
ओही घरी हमनी के उ माड़ो के ऊख पे आपन हक जतायिब जा ....
हई जरी (जड़) देने से चार पोर ऊख हमार... हई ऊख में सियार पदले बा... हम ना खायिब |
( ऊख जब पाक जाला त कवनो कवनो पोर से फाट जाला, ओही जगह पे सब रस इकठ्ठा हो के , सुख के लाल हो जाला... हमनी के उहे कहीं जा कि इ सियार के पादल ह,एही से फाट गइल बा )
होत बिहान, हमनी के ओह माड़ो में से ऊख निकाल निकाल चूस जायिब जा |
हमार बाबा, बड़हन कर्मकांडी... उनके श्रीमुख से सुनल कथा के एहिजा अपना से मगज से लबरत बानी –
इ कथा ब्रह्मा जी कहले...
देवता लोग के कहला पे...
ए हो देवता लोग ! जानते बाड़... बुढा गईनी... दोसरकन के जिनगी के रूप गढ़े में थाक गइल रहीं त अन्घी लाग गइल | एह सुतला में हमार मुंह खुला रह गइल
ओह घरी एगो राक्षस ... नांव ओकर शंखासुर ... बड़ा बदेल रहे... भयंकर उत्पाती |
हमार मुंह त खुला रहले रहे... उ हमार मुंह में खेलत सभे वेद लोग के उठा ले गइल... वेद लोग हमार लईका...
अब हम बुढा से उ राकस धराये के मान के रहे !!?? उ त लेके समुन्दर के तली में समा गइल |
हमरा कुछो बुझाइल ना त बिसनु भगवान भी गईनी | अब रउरे आसरा बा... सब वेदन के हमरा के लौटाईं |
तब बिसनु भगवान मछली बन के समुन्दर में गइले... बड़ा घनघोर लड़ाई भइल... शंखासुर के मार के वेद के अपना साथे ले अइले |
बाकी एह लड़ाई में बिसनु भगवान थाक गइले | सुस्ताये खातिर शेषनाग के शैया पे लेटले त नींद लाग गइल |
नींद अस कि टूटे ना... अब सभके चिंता भइल कि भगवाने सुत जयिहें त संसार के पालन के करी ?
बिसनु भगवान के तुलसी से बड़ा प्रेम... सभे देवता कहले कि जब ले भगवान नईखन जागत तब ले तुलसी माई संसार में कल्याण करिहें |
तुलसी जी बैकुंठ से धरती पे आ गइली ... करीब चार महीना बाद बिसनु भगवान के देह हिलल... देवता लोग लगले मंगल गावे -
अब बिसनु भगवान के नींद टूटल त तुलसी के खोजले....
सभे कहल उ त राउरे कार करत बाड़ी संसार में, अब जब रउरा जाग गईनी त उनका के ले आयीं | बिसनु भगवान उनका के लावे एह संसार में अयिले | त तुलसी नवका दुलहिन बनके उनका भा गइली | दुनो जाना के बिरह दूर भइल आ फेर तुलसी बैकुंठ पधरली | आ बिसनु भगवान आपन डिउटी... अरे संसार के पालनकरता वाला.... संभलन |
अब एह दिन के संसार के लोगन तुलसी आ बिसनु के बियाह के रूप में मनावेला | आ एही दिन बिसनु भगवान नींद से उठले त एकरा के देवठान (देव- उठान) कहल जाला |
नवका पौधा ऊख के... मीठ – रसदार ... आ पानिफल सिंघाड़ा इहे कुल्ही पूजा में चढ़ावल जाला | कहे के त बिसनु भगवान के जागे के परब ह , बाकी देखल जाओ त इ अपना भीतर के देवत्व जगावे के परब ह | त परेम पूर्वक बिसनु-तुलसी के गीत गाईं, मीठ- मीठ ऊख चूसीं आ दुनिया में अपना के मीठ बनायीं |
आय हाय हाय... शंकर जी के राम के बाल रूप में बिलमल देखी भवानी जी के डाह होता । तुलसीओ बाबा गज्जिबे लिखले बाड़ें ।
दुआर पे चौकी बिछल रहे... गदहबेर के समय... गांवही के 3-4 जाना के साथे चर्चा चलत रहे । शुकन सिंह हमार हरवाह हवें... कान से तनी उंच सुनेले । देह दाशा के दुबर पातर बाकी बड़ खटनिहार... उहो किनारे बइठ के ना जाने केतना सुनत रहन आ केतना गुनत रहन बाकी अचानके पूछ देलन - ए बाबा, आज देउठान ह का दो... ई का हो ला ए देवता ?
काल्हे अंवरा त अक्षय नवमी के कथा कहले रहीं। सीधा में ढेर ठेकुआ आ कचवनिया मिलल रहे । उहे एगो प्लेट में सबहरिए रखाइल रहे । बतकही के साथे पगुरियो चलत रहे । अब शुकन चाचा के आग्रह कइसे टलाव ... आ ओपे आउरो लोग के कहनाम कि हाँ ए बाबा, सुनाइए दीं ।
हमहूँ सुरू भइनी-
कार्तिक के महिना में हमार आजी रोज भिनसारे दुआर पर शिवाला के इनार पे नहास... ओहिजे तुलसी जी के दीया बारस...
जगा द राम तुलसी के भइले बिहान
हो...
जे मोरा तुलसी से नेह लगयिहें
रामा
जनम जनम अहिवात मिलि जयिहें हो राम...
जगा द राम तुलसी के
आजी पूजा करिहें... तुलसी महारानी के...
बियाह करायिहें शालिग्राम से... ऊख के माड़ो गड़ाई... तुलसी के गाछ के औरतन जईसन सजावल जाई |
फोटो-दृकपंचांग.कॉम |
चूड़ी टिकुली सेनुर सभे टिकाई ... लाल चुनरी ओढा के नवकि कन्या बना देहल जाई |
मजगर खेल रहे हमरा खातिर... फेर घर भर के लोग गीत गाई-
कवना घरे तुलसी जी लिहली जनमवा
कवना घरे भयिली अहवात...
जगा द राम तुलसी के... भइले बिहान
ओही घरी हमनी के उ माड़ो के ऊख पे आपन हक जतायिब जा ....
हई जरी (जड़) देने से चार पोर ऊख हमार... हई ऊख में सियार पदले बा... हम ना खायिब |
( ऊख जब पाक जाला त कवनो कवनो पोर से फाट जाला, ओही जगह पे सब रस इकठ्ठा हो के , सुख के लाल हो जाला... हमनी के उहे कहीं जा कि इ सियार के पादल ह,एही से फाट गइल बा )
होत बिहान, हमनी के ओह माड़ो में से ऊख निकाल निकाल चूस जायिब जा |
हमार बाबा, बड़हन कर्मकांडी... उनके श्रीमुख से सुनल कथा के एहिजा अपना से मगज से लबरत बानी –
इ कथा ब्रह्मा जी कहले...
देवता लोग के कहला पे...
मतस्य अवतार- वेद रक्षा ; फोटो-विकिपीडिया |
ए हो देवता लोग ! जानते बाड़... बुढा गईनी... दोसरकन के जिनगी के रूप गढ़े में थाक गइल रहीं त अन्घी लाग गइल | एह सुतला में हमार मुंह खुला रह गइल
ओह घरी एगो राक्षस ... नांव ओकर शंखासुर ... बड़ा बदेल रहे... भयंकर उत्पाती |
हमार मुंह त खुला रहले रहे... उ हमार मुंह में खेलत सभे वेद लोग के उठा ले गइल... वेद लोग हमार लईका...
अब हम बुढा से उ राकस धराये के मान के रहे !!?? उ त लेके समुन्दर के तली में समा गइल |
हमरा कुछो बुझाइल ना त बिसनु भगवान भी गईनी | अब रउरे आसरा बा... सब वेदन के हमरा के लौटाईं |
तब बिसनु भगवान मछली बन के समुन्दर में गइले... बड़ा घनघोर लड़ाई भइल... शंखासुर के मार के वेद के अपना साथे ले अइले |
फोटो-अस्त्रोकैम्प.कॉम |
बाकी एह लड़ाई में बिसनु भगवान थाक गइले | सुस्ताये खातिर शेषनाग के शैया पे लेटले त नींद लाग गइल |
नींद अस कि टूटे ना... अब सभके चिंता भइल कि भगवाने सुत जयिहें त संसार के पालन के करी ?
बिसनु भगवान के तुलसी से बड़ा प्रेम... सभे देवता कहले कि जब ले भगवान नईखन जागत तब ले तुलसी माई संसार में कल्याण करिहें |
तुलसी जी बैकुंठ से धरती पे आ गइली ... करीब चार महीना बाद बिसनु भगवान के देह हिलल... देवता लोग लगले मंगल गावे -
उत्तिष्ठोत्तिष्ठगोविन्द त्यजनिद्रांजगत्पते।
त्वयिसुप्तेजगन्नाथ जगत् सुप्तमिदंभवेत्॥
उत्तिष्ठोत्तिष्ठवाराह दंष्ट्रोद्धृतवसुन्धरे।
हिरण्याक्षप्राणघातिन्त्रैलोक्येमङ्गलम्कुरु॥
अब बिसनु भगवान के नींद टूटल त तुलसी के खोजले....
सभे कहल उ त राउरे कार करत बाड़ी संसार में, अब जब रउरा जाग गईनी त उनका के ले आयीं | बिसनु भगवान उनका के लावे एह संसार में अयिले | त तुलसी नवका दुलहिन बनके उनका भा गइली | दुनो जाना के बिरह दूर भइल आ फेर तुलसी बैकुंठ पधरली | आ बिसनु भगवान आपन डिउटी... अरे संसार के पालनकरता वाला.... संभलन |
अब एह दिन के संसार के लोगन तुलसी आ बिसनु के बियाह के रूप में मनावेला | आ एही दिन बिसनु भगवान नींद से उठले त एकरा के देवठान (देव- उठान) कहल जाला |
नवका पौधा ऊख के... मीठ – रसदार ... आ पानिफल सिंघाड़ा इहे कुल्ही पूजा में चढ़ावल जाला | कहे के त बिसनु भगवान के जागे के परब ह , बाकी देखल जाओ त इ अपना भीतर के देवत्व जगावे के परब ह | त परेम पूर्वक बिसनु-तुलसी के गीत गाईं, मीठ- मीठ ऊख चूसीं आ दुनिया में अपना के मीठ बनायीं |
तुलसी लहरिया लाल, ए रामा मोरे अंगनवा
मोरे अंगनवा तुलसी जी के गछिया
ब्याह ले जयिहें शालिग्राम , ए रामा मोरे अंगनवा....
त कथा बस अतने बा... लीही बिसनु भगवान के नाव .... कहाँ तुलसी बाबा बतियावत रहीं जा तबले तुलसी माई आ गइली । जै जै हो तुलसी माई
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