Thursday, February 17, 2011

चेहरा बेईमान के...


(महँगाई के मार से घवाहिल जनता के भोजपुरी साहित्य के सृंगार कईसे सुनायीं ? देश के एह दशा देख के कलम भी मुस्मात लेखा लोर ढा रहल बिया... केकर करनी, केकर भरनी | पढ़ीं आ आपन कपार धुनी...कवि प्रदीप के गीत "आओ बच्चों तुम्हें दिखाएँ.." के तर्ज पर)

आव बबुआ तोहरा देखाईं चेहरा सब बेईमान के

घोर के पियत लाज शरम, देख सब हैवान के

कहाँ बा शरम, कहाँ बा शरम...


इ देख स्विस बैंक के खाता, करिया नोट से भरल बा

उज्जर उज्जर कपड़ावालन के इ करनी करल बा

चारा-हवाला-बोफोर्स-आदर्श, सबके एहिजा खाता बा

आंखी के सोझा देश के पईसा, एहिजे सब लपाता बा

देश के देह में घुन बनल, करनी सब शैतान के

घोर के पियत लाज शरम, देख सब हैवान के

कहाँ बा शरम, कहाँ बा शरम...


इ देख राष्ट्रमंडल के खेला, कलमाड़ी आ चेला के

सत्तर हजार करोड फूँकाइल, ना बाचल अधेला के

भईल छिछालेदर दुनिया में, रंगत अईसन मेला के

पीठ थपथपावत आपन देख, इज्जत डूबइला के

नाम हंसाई करवा देहले, इ भारत महान के

लाज शरम घोर के पियत देख सब हैवान के

कहाँ बा शरम, कहाँ बा शरम...


राजा के भी राज अजीब बा, हर हाथे मोबाईल बा

सस्ता भईल अब बात करल, एही में अझुरायिल बा

दूरसंचार के मायाजाल अनोखा, लमहर घोटाला बा

जेने देख ओने टू-एस टू-जी के बोलबाला बा

कईसन राज चलवलस देख राडिया सुल्तान के

लाज शरम घोर के पियत देख सब हैवान के

कहाँ बा शरम, कहाँ बा शरम...


देख जनता भुलायिल नईखे, उ चारा घोटाला के

आदमी कईसे खा गईल देख, जानवर के निवाला के

कबो कबो अबहुओं उठत बा धुंआ, करिया हवाला के

कईसन दिवाली मनत बाटे देश के दिवाला के

आँख मुंद के सभे भुला जा, सब करनी भगवान के

लाज शरम घोर के पियत देख सब हैवान के

कहाँ बा शरम, कहाँ बा शरम...

~शशि रंजन मिश्र