फोटो: दृकपंचांग.कॉम |
अरे महाराज दम धरीं... कथवा त कहबे
करब...
बाकी बिना पान सोपाड़ी आ दक्षिणा लेले इ मिसिर बाबा के
पोथी के पन्ना ना पलटाई ।
कम से कम ग्यारह रोपेया इ पोथिया पे चढ़ाईं त हमहूँ आगे बढीं ।
का कहत बानी... पान आ सोपाड़ी नईखे... अरे भेजीं इ महँगुआ के ... रामचनर पटेहरी के दोकान कवन कोस भ पे बा,
भाग के जाई आ दउर के आई ।
तब ले कथा के भाव सुनी.. मेन कथवा हम
बाद में कहेंगे...
ए बाबू साहेब जानत बानी, सभे बरत-त्यौहार एक के पीछे एक... आ सब एक दोसरा पे डिपेंडेंट.
अरे चिहात काहे बानी ! डिपेंडेंट ना
बुझनी ह की हमार बतिया ना बुझाइल ह ?
अच्छा-अच्छा , त अंग्रेजी बुझिला !!!
हँ, त कहत
रहीं... सभे बरत एक दोसरा पे निर्भर बा ।
सोहराई बितल त गोधन आइल... दिवाली के
बांचल लड्डू मिठाई एह गोधन में निपटारा हो गइल... त हमार कहलका ठीक बा की ना?
फेर आइल छठ...
आरे हँ ... रउआ घरे त भइल रहल हा...
ठेकुआ आ कचवनिया त बनले होखी । काहे ना दू-चार ठेकुआ कचवनिया सीधा खातिर बान्ह
लेनी ह ...
लीं हई मंगरूओ आ गइल... पान सोपाड़ी
साथे ।
त कहत रहीं छठ के बाद इ अक्षय नवमी
के अयिला के ।
कथा शुरू करत बानी... इ लीं हाथ में
फूल ,पान, सोपाड़ी... कुछ दरबो
दक्छिना निकाल लीं ।
आँख तोपिके ध्यान करीं ....
आँख तोपिके ध्यान करीं ....
ओम बिसनु.. बिसनु बिसनु.... अमुक
गावें , अमुक नावें, अमुक गोतर अमुक
पितर... पधारीं । एह आंवरा के फेड के नीचे हमरा संगे अक्षय नवमी बाबा के कथा सुनी ।
हाथ के सभे चीज नीचे राखीं... आ हाथ जोड़ीं ।
हाथ के सभे चीज नीचे राखीं... आ हाथ जोड़ीं ।
परेम से बोलीं – बिसनु भगवान की जय ।
त कथा बा-
“एकदा नैमिशारण्ये.......
प्रणमामि शम्भो।।”
ना बुझाइल त हिंदी में अरथ सुनीं-
एक बेर ... निमिषा के जंगल में
इकट्ठा भइल...
अरे ! घुमे फिरे... आ आपन पोसुआ
सवरीयन के जंगल के हवा खियावे । इनर महाराज के हाथी सरग में बयिठल बयिठल पगलात
रहे... भोला बाबा के बैल के हरियरी चाहत रहे... त मय देवता जंगल ओरे चलले... कि चल
ए मन, ढेर भयिल रम्भा-मेनका सुनरी लोग के नाच... सरग में
खा- पिअ आ दिनभर बईठ के नाच देखला से देह के दुर्दशा भइल जात बा... गणेश बाबा के
कोलेस्ट्रोल बढ़ल बा... तोंद नईखे कम होत... जंगल के हरियरी के हवा लागी त मन-मिजाज
हरियर हो जाई ।
अब जंगल में डेरा डलाइल आ बयिठकी लागल त एक जाना ब्रह्मा बाबा से कहले-
“की ए बाबा, सोहराई
बित गइल... लक्ष्मी जी के पूजा मिलल... गणेश बाबा के लड्डू भेंटायिल... अभि ले
पाचल नईखे... डेकार मारत बाड़े... गोधनो कुटायिल, आ छठो बीत गइल...
माने एह साल के कोटा पूरा हो गइल... अब हमनी के कवन पूजा भेंटाई जवना से हमनी के
जाड़ा कटो ...
ब्रह्मा जी कहले-
अरे जाड़ा में नाक ना बहे आ देह में
कैल्सियम के कमी ना होखे एह से आंवरा खाए के चाहीं । एह से अईसन बरत बतावत बानी, जवना से हमनी के जाड़ा में पूजा चढ़ी आ हमनी के जाड़ा कटी ।
एक बेर लक्ष्मी जी घुमे निकलली... हँ, उहे दिवाली के बाद...
सोचली की हमार पूजा त हो गइल, बाकी हमार मरद के पूजा त भयिबे ना कइल ... आ एने गउरा बहिनो के पूजा भइल बाकी भोला बाबा छूंछे रह गईले ।
हे मन... का करीं !!! हमहीं पूजा कर
देत बानी । बाकी भोला बाबा के हम पूजा करीं आ गउरा बहिन
खिसिया जास त बड़ फेरा बा ।
ध्यान लगयिली ... त आंवला के फल
लउकल.. कहली की इ धात्री फल में त तुलसी आ बेल दुनो के गुण बा । एकरे के पूजा करब
त दुनो जाना के पूजा हो जाई आ गउरा बहिन खिसियइबो
ना करिहें ।
त लक्ष्मी जी ओही आंवलवा के बिसनु आ
शिव के प्रतिक बना के पूजा कर देली ।
सत्येंदर उपाध्याय जी के अक्षय नवमी पूजा |
दुनो जाना प्रसन्न भईले । आके कहले-
ए लक्ष्मी, जईसे तू आज हमनी के पूजा कयिलू ओहसे तहरा अभी कमी ना
होखेवाला पुन्य मिलल । एह पुन्य के क्षय ना होई ।
दुनो जाना आशीर्वाद दे घरे गइले ।
दुनो जाना आशीर्वाद दे घरे गइले ।
ब्रह्मा बाबा कहले – इहे पूजा इ पृथ्वी पे जे करी ओकरा ओइसहीं अक्षय पुन्य मिली ।
लीं ये जजिमान इहे कथा त रहल ह ...
बोलीं – बिसनु भगवान की जै .... भोले बैजनाथ की जै
अब निकालीं कुछो खाए पिए के.. एह आंवरा के फेड़ के निचे कुछ खा के हमहूँ पुन्न कमाँ लीं । आरे छठ के
बांचल ठेकुआ- कचवनिए खियायीं । कहबे कईनी ह पहिलहीं कि इ नवमी, छठ पे डिपेंडेंट बा ...
अच्छा त आंवरा के अचार लायिल बानी...
दिहीं, सुखलो आंवरा के खाए के महातम बा ।
स्कन (द) पुराण में लिखल बा...
आरे ना सकरकन पुराण ना... स्कन्द
पुराण के कातिक महातम में बा की जे सुखलो आंवरा खायी उ
नारायण हो जाई -
'धात्री फल
विलिप्तातांगो धात्री फल विभूषित:। धात्री फल कृताहारो नरो नारायणो भवेत।।'
त एगो ठेकुआ आउर बढायीं... ब्राह्मण
के मुख ब्रह्मा के होला.. नारायण त रहबे करेले... ढेर आशिर्बाद बा । अयिसहीं सालों
साल ठेकुआ कचवनिया खियायीं ।
आबाद रहीं...
बोलीं बिसनु भगवान की जै...
बहुते बढ़िया लागल हा जी ।।
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