Sunday, May 24, 2009

भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में लाने की कवायद



May 24, 10:32 pm दैनिक जागरण

नई दिल्ली [जागरण संवाददाता] बीस करोड़ लोगों की भाषा भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की कोशिशतेज हो गई है। पूर्वाचल के सांसदों ने पार्टी लाइन से हटकर इसके लिए संकल्प लिया है। साथ ही लोकसभा सत्र में बिल पेश करने का भीऐलान किया गया है।

दिल्ली में रविवार को प्रदेश भोजपुरी समाज द्वारा आयोजित समारोह में दो दर्जन सांसदों ने यह ऐलान किया। सांसदों ने कहा कि बीसकरोड़ लोगों की मुख्य भाषा भोजपुरी बन चुकी है। देश ही नहीं, दुनियाभर में भोजपुरी की अलग पहचान है। लेकिन देश में उसे कोईदर्जा नहीं मिल सका है। यह अफसोस की बात है। अब भोजपुरी पूर्वाचल के सांसद खामोश नहीं बैठेंगे। वे लोकसभा सत्र में इसके लिएबिल पेश करेंगे।

भोजपुरी समाज के अध्यक्ष अजीत दुबे कहा कि समाज के प्रयास से दिल्ली सरकार ने छठ सहित अन्य त्योहारों पर छुट्टी की। साथ हीदिल्ली में मैथिली-भोजपुरी अकादमी की स्थापना कराई गई।

साभार : दैनिक जागरण

Saturday, May 23, 2009

पुरनका भोजपुरी गीत सुनी भा डाउनलोड करीं

भोजपुरी संगीत के सफर में अनेकन ऐसन गीत आइल जवन अबहियों सुनला पर मन के हिलकोर देवेला | पुरनका गीत http://www.youtube.com/ पर उपलब्ध बा | कुछ गीत दोसर वेबसाइट पर भी बा | निचे दुगो गीतन केलिंक दे रहल बानी | डाउनलोड करीं सुनी |
- बलम परदेशिया

संगीत- चित्रगुप्त
गीतकार- अनजान
गायक- मोo रफी, आशा भोंशले
गीत- "गोरकि पतरकी रे..."(128 KPS/44KHz)
http://www.4shared.com/file/20948283/56b05...patarki_re.html

- धरती मैया



संगीत- चित्रगुप्त
गायक- मोo रफी
गीत- "जल्दी जल्दी चल रे कहरा.."(128 KPS/44KHz)
http://www.4shared.com/file/20948419/632a7...e_kahaar-1.html

Saturday, May 16, 2009

भोजपुरी गीत-संगीत के पतन

भोजपुरी गीतन के गिरत स्तर चिंतनीय विषय बा | भाषा के मिठास आज के फूहड़पन में बिला रहल बा | बाज़ार में भेड़चाल खूब बा , नयका साज़ आ टेक्नोलॉजी के युग में गीतकार आ संगीतकार आपन विधा भुला गइल बाड़न जा |
भोजपुरिया सिनेमा के आपन स्वर्णिम इतिहास रहे | इ बोली के मिठास आ दर्शक वर्ग के पसंद के मान इ रहे कि दक्षिण भारत के निर्माता लोग भी एह ओरे नजर दौडावत रहे लोग | उ जमाना में गीत के बोल पर ज्यादे धयान दियात रहे, जेह से भाषा के मिठास कभी न गड़बड़ात रहे | आ सबसे बड़ बात ओह घड़ी के रहे कि गवनिहार लोग भी भोजपुरी भाषी ना होते हुए भी, एकर मिठास में अइसन घुल जात रहन कि फरक कईल मुश्किल रहे |
सिनेमा जगत में दक्षिण भारत के वर्चस्व रहल बा, फिर भी दोसर
भाषा के गवैया जैसे मो. रफी, तलत महमूद, मुकेश, उषा मंगेशकर, लता मंगेशकर जइसन ना जाने केतना लोग भोजपुरी के मिठास पवलस लोग |
नवका पीढी के लोग हिंदी आ अंग्रेजी के सिनेमा खूब पसंद करेले, आ
नवका बाजा आ गीत के खूब चाहेले | अब बाज़ार में गिरत साख बचावे खातिर सिनेमाकार लोग फूहड़पन पर उतर गइल बाडन | गीत लिखेवाला, गावेवाला भा सुनेवाला के अइसन फौज तइयार भइल कि अश्लीलता के सब बांध तुड़ दियाइल | सस्ता आ बाजारू गाना के कारण भोजपुरी बहुत अपमानित हो रहल बा | नयका गाना चाहे फ़िल्मी होखे भा लोकगीत, आपन परिवार के साथ ना सुनल जा सके | कानफाडू आवाज में जब कवनो गवनिहार गावे ले ता बुझाला जैसे केहू छाती पर आरी चलावता | आह रे भोजपुरी, तोहर इ दशा... भाषा सभ्य समाज के ऐनक हा, बाकि भोजपुरी पे ता बिपत पड़ गइल बा, तनी बोल के देखीं नयका पीढी संग, गवांर कहा जाइब |
८० के दसक तक आवत-आवत भोजपुरी सिनेमा के बाज़ार उठे लागल | भिखारी ठाकुर के बिदेशिया आ बेटी बचवा के गीत के मिठास अबहियों पुरनका लोग के कान में गूँज जाला | अभी भी पुरान लोग आ बढ़िया संगीत सुनेवाला लोग के कान में बिदेशिया के गीत "हंसी-हंसी पनवा..." भा "जोगन बन जाइब..." गूंजेला | तलत महमूद के गावल - " लागी नाही छूटे रामा.." के मिठास होखे, चाहे मो. रफी के गावल- "सोनवा के पिंजरा..." भा "चढ़ते फगुनवा.." , सुनला प बुझाला जैसे केहू कान में मिश्री घोलत होखे |
एक देने इ मधुर संगीत बा, आ दोसरका ओरे नयका गवनीहारन के गीत... फैसला कईल आसन बा |
आपन भाषा के विकास आउर फ़िर से वोही सम्मान दिलावे खातिर इ गोहार बा... अश्लीलता से भाषा के मुक्त करीं |