Sunday, November 15, 2015

छठी मायी

Krittika
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गोड़ लागीं ए बाबा, कहंवा लपकत जात बानी?
हमनी किंहा, पंडी जी लोग के परनामो कईला के अजिबे ढंग बा । अब  “गोड़ लागीं ए बाबा...” से त इहे नु कहाई ।एक मने बाबा के गोड़ लगाई आ दोसरका मने बाबा से गोड़ लगवायीं  ।अब गाँव में एह तरह के बतकही चलत रहेला ...
हमार गाँव के नाव ह –पवना...  आ एह गाँव में एगो गान्ही चउक बा । पता ना गान्ही बाबा एहिजा कईसे पहुच गईले... इतिहास में त नईखे,  बाकी इ गान्हिये चउक कहाला । एहिजा मय गाँव के स्थिराह लोग मुफुत के मिठाई-जिलेबी  के गन्ह (गंध) लेवे खातिर जुटल रही । आ आवत जात लोगन के टोकत रही । इहे बड़का मनोरंजन रहे... एही मनोरंजन में आज हम धरयिनी ।
एक जाना कहले- ए बाबा, सोहराई (दिवाली) बितल आ अब छठ आईल ।
बाकी एह छठे के सोच के हमनी के बुद्धि भरमायिल...
सुरुज बाबा मरद हवें... चान-सुरुज सभे आकासे में रहेले,  बाकी इ छठी मईया कवन देवता हई ।इनकर भेद त रउरे बुझायीं ।
बड़ फेर भईल ए भाई... इ बाबूसाहेब लोग के आज बढ़िया मसाला भेंटाइल...
कहनी- ए बाबु साहेब ! काल भोरे-भोरे, नहा धोकर हमारे दुआर पे आइये ।सीधा आ दक्षिणा जरुर रखियेगा... पान-सोपाड़ी आ छुट्टा फुल के साथे ।
उहो बाबूसाहेब उजबक... होत फजिराहे नहा धो के  आ गईले ।
कहनी की – सुनी कथा त सूना देब बाकी एह कथा से पहिले इहो सुनी –
“कईली बरतिया तोहार ए छठी मईया
तोहार महिमा अपार, ए छठी मईया”
पकड़ी के फेंड़ (पेड़) पर भोंभा बाजत रहे ।हमनी के चिहायीं जा, एह भोंभवा में से कईसे आवाज आवत बा !!! शहनाई के जईसे एकरो रूप बा , बाकी तनी बड़हने बा... शहनाई त मुंह से फूंक के बजावल जाला ।अब एह भोंभा के पोंछ पे बटखरा जईसन कुछ बाँधल बा ।एहिजा के फूँकत बा !!?? गांवे एगो बाबूसाहेब के बरियात आईल रहे ।दुआर पे एक कोना में चौकी पे दू जाना शहनाई आ एगो तबला बजावे बयिठले ।लायिकायीं के अकिल, एगो आगलगावन चाचा लईकन के उस्का देलें की शहनाईवाला के सोझा अचार खा स ।हमनियों के चांगड़... आम के खटाई लगनी जा चाटे ।अब उ शहनाई वाला फूंक त बरियार मारे बाकी आवाज आवे फें फें... भईल शिकायत ।लउर लेके एक जाना हमनी पे टूटले ... बाकी हमनी के अन्हिया बैताल हो गईनी जा ।
उहे अमवा के खटईया वाला खेल एहो भोंभा पे करीं जा, बाकी एकरा सुर में कवनो विघिन ना पड़े... एके रागे गावत जाए ।भोंभवा के पीछे देखीं जा की कवनो मरद मेहरारू घुसल त नईखन...
लीं बात शुरू कईनी ह छठी माई के गीत से भोंभा के बखाने लगनी ।आ रउरो मुंह बा के सुनत (पढ़त) जात बानी... टोकनी ह काहे न !!??...
अच्छा त अब ध्यान देब... हम भटकीं-त टोकब... कुछो ना बुझीं त – रोकब !!!
त एक बार जयकार लगायीं कि - हे ! छठी माई किरिपा बरसायीं ।
सुमीर लीं भोले बैजनाथ के नांव... अमुक क्षेत्रे, अमुक गाँव... ले लीं आपन गोत्र-पित्र के नाव
एह गोबर गणेश पे पान फुल सोपाड़ी चढ़ाईं... संगे सवा रोपेया दक्षिणा ।
त बात करत रहीं एह छठी माई के... लयिकायीं से ईगो सवाल कुलबुलात रहे ।पूजा होत बा सुरुज बाबा के त इ छठी माई के हई !? सुरुज बाबा त रथ पे बाड़े, जवना के सात गो घोडा खींचेला... इ छठी माई कहीं लउकत नईखी ।इहे सवाल हम आपन बाबा से पूछनी ।हमार वेदव्यास उन्हें के... बाबा बतवनी हमरा के जवन कथा- उहे हमरा मुखे सुनी –
कथा बा शिव पुराण के... हँ हँ हँ ... उहे भोले बैजनाथ के कथा बा ।
उनकर छोट लईका के नाव रहे स्कन्द । लयिकायींयें से बड़ चंचल ... कोरे में रहन बाकी उत्पात के कमी ना रहे ।स्कन्द के माई रही गउरा... गईली एक दिन नदी के कछारे नहाए ।
आ एह लईका के किनारे कपड़ा में लपेटी छोड़ गईली ।लईका रहे उत्पाती एक ओरे लुढ़के लागल ।किनारहीं  नरकट के झुरमुट रहे.. लईका ओही में घुस गईल... ठंढा छांह मिलल त घोर नींद घेरलस ।
ओने गउरा के लईका ना मिलल त रोवत पीटत घरे गईली की कवनो शेर बाघ भा सोंस घड़ियाल लईका ले गईल ।
घरी भ बीतल होई की छव गो सुनार मुनर राजकुमारी आकास से उतरली आ नहाये लगली...
लईका के भूख लागल त जागल आ रोये लागल ।
लईका के रोवाई सुन के इ छौ जानी नरकट के झुरमुट म गईली, त देखत का बाड़ी- बड़ सुनर लईका, भूखे बिलखत बा ।
एह लोग के दया आईल त सभे जानी आपन आपन दूध एह लईका के पिअवलस ।लईका चुप लगा गईल ।
बोलीं – जै भोलानाथ !
इ छौ बहिन लोग कृतिका नक्षत्र के तारा लोग रहे, इनका लोग के भी कृतिका ही कहल जाला  ।कृतिका नक्षत्र , सुरुज भगवान के सबसे नजीक होला । इ लोग सुरुज भगवान के प्रार्थना कईल कि अब इ लईका हमनी के लईका ह ।अब रउरा एकरा के आशीर्वाद दिहीं ।
http://www.bibliotecapleyades.net/universo/passage_change.htm
सुरुज बाबा बड़ा प्रसन्न... लईका के बुद्धि-विद्या आ अमर होखे के वरदान देले ।
ध्यान लगा के देखले त सभे कुछ मालूम हो गईल कि , इ लईका भोला नाथ के ह...
कहले इनकर नाव त स्कन्द ह बाकी तोहर लोग के लईका भईला से अब इनकर नाव कार्तिकेय होयी ।
बोलीं – जै भोलानाथ !
त अब गउरा के साथे इ लईका के छौ माई आउर भेटा गईली । इहे छठी माई हई ।
त परेम से बोलीं – जै हो छठी माई । जै हो सुरुज बाबा...
जईसे छठी माई एह लईका के लालन पालन करके ओकर भूख मेटवली ।ओइसहीं हे ! छठी माई हमनियों के लईका खातिर सुरुज बाबा से वरदान मांग दीं ।हमनियो के लईकन के बरदान दीं ।

लीं कथा ख़तम हो गईल । हमार दक्षिणवा निकालीं ।

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