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Friday, November 27, 2009
कजरारी अँखिया काहे लोराइल
कजरारी अँखिया
काहे लोराइल
केकर बात टीस लागल
मन में समाइल
भोरे भोरे काहे आज
मुखड़ा मलिन बा
देहिया के सुध नइखे
लागत दीनहीन बा
काहे चनरमा पे राहू
घिरी आइल
केकर बात टीस लागल
मन में समाइल
कजरारी अँखिया...
दिलवा के पीर पर
नीर जनी बहाव
हमर स्नेह के
मरहम लगाव
फेर से देखाद
आपन मुस्काइल
केकर बात टीस लागल
मन में समाइल
कजरारी अँखिया...
Sunday, June 14, 2009
गंगा मैया तोहे पियरी चढ़इबो (१९६२)
भोजपुरी सिनेमा के पहिलका अध्याय "गंगा मैया तोहे पियरी चढ़इबो " से शुरू भइल | विश्वनाथ शाहाबादी के के संयोजन से १९६२ में इ सिनेमा आइल | कलाकारन के बढ़िया जमावाडा रहे | बढ़िया गीत संगीत खातिर इ सिनेमा के आजो कोई जोड़ नइखे |
निर्देशन : कुंदन कुमार
गीत : शैलेन्द्र
संगीत : चित्रगुप्त
कलाकार: सुजीत कुमार, कुमकुम और नासीर हुसैन
गायक: लता मंगेशकर, उषा मंगेशकर, सुमन कल्यानपुर और मो० रफी
१ हे गंगा मैया तोहे पियरी...
२ मोरे करेजवा में पीर कैसे भइल
३ लुक छिप बदरा में चमके जइसे
४ अब ता लागल सोलवा साल
५ काहे बंसुरिया बजइलू
६ सोनवा के पिंजरा में बंद भैनिं हाय राम
Saturday, June 13, 2009
बिदेशिया (१९६३)
कलाकार : सुजीत कुमार, जीवन, शील कुमार,पद्मा खन्ना, हेलेन, कुमारी नाज़ और एस०एन० तिर्पाठी
कला/लेखन/संगीत: एस०एन० तिर्पाठी
चित्रण : रूस्सी बिल्लीमोरिया
कथा/संवाद : राम मूर्ति चतुर्वेदी
गायन: सुमन कल्यानपुर, गीता दत्त, मन्ना डे , महेंद्र कपूर और कौमुदी मजुमदार
मूल कथा: स्वर्गीय भिखारी ठाकुर
बिदेशिया भोजपुरी सिनेमा के एगो स्वर्णिम अध्याय ह | भिखारी ठाकुर के अजेय रचना के आज भी जोड़ नइखे | एह सिनेमा भोजपुरी के जवन इज्जत देलस ओइसन आज तक न भेंटाइल | कुछ गीत इ सिनेमा के बहुतकर्णप्रिय बा |
१ भेद भाव की कड़ी पुरानी, तोड़ मनुज मत कर नादानी
२ बनी जैहों बन के जोगनिया हो राम पिया के करनावा
३ डगरिया जोहात ना हो डगरिया जोहात ना
४ दिनवां गिनत मोरी घिसली उंगरिया
५ हमें दुनिया करेला बदनाम बलमुआ तोहरे बदे
६ हँसी हँसी पनवा खियवले बेईमान्वा
७ इश्क कराइ ऊ जिसकी जेब में माल बारे बालम
८ लेई बदरवा से कज़रवा
९ नीक सैयां बिन भवनवां नाही लागाई सख्यां
१० राम जान लेके हथेली पै चलबै
Friday, June 12, 2009
हम भोजपुरिया
हमर गंवईपन पे मत दिह हँस
दिलवा के साफ बानी, हम भोजपुरिया |
हम हंई मलंग, ना कवनो कलेश बा
प्रेम बेहिसाब बांटीं, हम भोजपुरिया |
भेष भी भदेश बा, चाल बा पुराना
माटी से लगाव हमारा, हम भोजपुरिया |
पक्का हम जुबान के अंजुरी में चान राखीं
कवनो मलाल नइखे, हम भोजपुरिया |
Sunday, May 24, 2009
भोजपुरी को 8वीं अनुसूची में लाने की कवायद
May 24, 10:32 pm दैनिक जागरण
नई दिल्ली [जागरण संवाददाता]। बीस करोड़ लोगों की भाषा भोजपुरी को संविधान की आठवीं अनुसूची में शामिल करने की कोशिशतेज हो गई है। पूर्वाचल के सांसदों ने पार्टी लाइन से हटकर इसके लिए संकल्प लिया है। साथ ही लोकसभा सत्र में बिल पेश करने का भीऐलान किया गया है।
दिल्ली में रविवार को प्रदेश भोजपुरी समाज द्वारा आयोजित समारोह में दो दर्जन सांसदों ने यह ऐलान किया। सांसदों ने कहा कि बीसकरोड़ लोगों की मुख्य भाषा भोजपुरी बन चुकी है। देश ही नहीं, दुनियाभर में भोजपुरी की अलग पहचान है। लेकिन देश में उसे कोईदर्जा नहीं मिल सका है। यह अफसोस की बात है। अब भोजपुरी व पूर्वाचल के सांसद खामोश नहीं बैठेंगे। वे लोकसभा सत्र में इसके लिएबिल पेश करेंगे।
भोजपुरी समाज के अध्यक्ष अजीत दुबे कहा कि समाज के प्रयास से दिल्ली सरकार ने छठ सहित अन्य त्योहारों पर छुट्टी की। साथ हीदिल्ली में मैथिली-भोजपुरी अकादमी की स्थापना कराई गई।
Saturday, May 23, 2009
पुरनका भोजपुरी गीत सुनी भा डाउनलोड करीं
१- बलम परदेशिया
संगीत- चित्रगुप्त
गीतकार- अनजान
गायक- मोo रफी, आशा भोंशले
गीत- "गोरकि पतरकी रे..."(128 KPS/44KHz)
http://www.4shared.com/file/20948283/56b05...patarki_re.html
२- धरती मैया
संगीत- चित्रगुप्त
गायक- मोo रफी
गीत- "जल्दी जल्दी चल रे कहरा.."(128 KPS/44KHz)
http://www.4shared.com/file/20948419/632a7...e_kahaar-1.html
Saturday, May 16, 2009
भोजपुरी गीत-संगीत के पतन
सिनेमा जगत में दक्षिण भारत के वर्चस्व रहल बा, फिर भी दोसर भाषा के गवैया जैसे मो. रफी, तलत महमूद, मुकेश, उषा मंगेशकर, लता मंगेशकर जइसन ना जाने केतना लोग भोजपुरी के मिठास पवलस लोग |
नवका पीढी के लोग हिंदी आ अंग्रेजी के सिनेमा खूब पसंद करेले, आ नवका बाजा आ गीत के खूब चाहेले | अब बाज़ार में गिरत साख बचावे खातिर सिनेमाकार लोग फूहड़पन पर उतर गइल बाडन | गीत लिखेवाला, गावेवाला भा सुनेवाला के अइसन फौज तइयार भइल कि अश्लीलता के सब बांध तुड़ दियाइल | सस्ता आ बाजारू गाना के कारण भोजपुरी बहुत अपमानित हो रहल बा | नयका गाना चाहे फ़िल्मी होखे भा लोकगीत, आपन परिवार के साथ ना सुनल जा सके | कानफाडू आवाज में जब कवनो गवनिहार गावे ले ता बुझाला जैसे केहू छाती पर आरी चलावता | आह रे भोजपुरी, तोहर इ दशा... भाषा सभ्य समाज के ऐनक हा, बाकि भोजपुरी पे ता बिपत पड़ गइल बा, तनी बोल के देखीं नयका पीढी संग, गवांर कहा जाइब |
एक देने इ मधुर संगीत बा, आ दोसरका ओरे नयका गवनीहारन के गीत... फैसला कईल आसन बा |
आपन भाषा के विकास आउर फ़िर से वोही सम्मान दिलावे खातिर इ गोहार बा... अश्लीलता से भाषा के मुक्त करीं |