Wednesday, September 8, 2010

केतना पानी, घो घो रानी...




केतना पानी, घो घो रानी |
जरत जिनगी,
बिलमत आस
देव धरम पे टूटल
विश्वास
काहे के भोला
अवघड़  दानी |
केतना पानी घो घो रानी...

भूखे मरल
करिमना के माई
पड़ल बेराम
ना भईल दवाई
कफ़न के खर्चा में
भईल खींचातानी |
केतना पानी घो घो रानी...

गोबर पाथत
मुस्मात बुधिया
शादी जुकुत
भईल रधिया
अब त शायद
करे पड़े देह नीलामी |
केतना पानी घो घो रानी...

चनर पांडे
बनले मुखिया
सीधा साधा
गरीब दुखिया
दशा बदलल त
करत बाड़े मनमानी |
केतना पानी घो घो रानी ...

शुकुल महतो के
लईका पियक्कड
रामदीन भर जिनगी के
फक्कड
उदास रहेला
चूल्हा सानी |
केतना पानी घो घो रानी...

मड़ई जादो के
मड़ई टूटल
एक कोना में
हडिया फूटल
कर्जा खाके दे देले
जमीन के कुर्बानी |
केतना पानी घो घो रानी ...

1 comment:

  1. अच्छी पंक्तिया है ....
    ....
    एक बार जरुर पढ़े :-
    (आपके पापा इंतजार कर रहे होंगे ...)
    http://thodamuskurakardekho.blogspot.com/2010/09/blog-post_08.html

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