साभार: मिसिरपुराण के अलोता से
बात त ठीक रहल ह की खाली दिमाग शैतान के घर होला आ इहे शैतानियत
में केतना बढ़िया बढ़िया प्रयोग भ गइल बा इ सभे जानत बा । न्यूटन खलिहा बयिठल रहन, निठल्ला । उहे निठल्लापन के सोच में अईसन आविष्कार
कइलन जे दुनिया बदल गइल । आ आविष्कार का रहे खालि उनकर दिमाग के कचरस । जवन बात आज
एगो अंगुठो छाप बता दी की भैंस प से कुदला से जमीन पे काहे आवेला, आकाश में काहे ना जाये ? भा झटहा मरला पे आम भदभदा के
निचे काहे गिरेला । बाकी बात न्यूटन के रहे, उनकर बात कुछ खास
। अरस्तु, आर्कमिडिज जईसन के कहल रहित त आउर बढ़िया । अब मिसिर
बाबा के मगज के कचरस के दुनिया आविष्कार थोड़े कही, इ न्यूटन थोड़े
हवें ।
जून के महीना में दिल्ली के गर्मी में मिसिर जी निठल्ला बइठल बाडे
आ उनकरो मगज में चुहल्पनी होला शैतान के ।
शायद इहे बतिया भइल न्यूटन के साथे । गर्मी
से बचे खातिर लेटल रहे दुपहरिया में सेब के पेड़ के निचे ।
कुछ सोचत रहन की, पेड़ पर के सेब गिनत रहन, अब उहे जानस । तब तक ले त ठीक
रहे । बाकी कपार पे सड़ल सेव गिरल, कपड़ा खराब भइल त सोचले- इ सेवुआ
दोसर ओर गिरित त हम बांच जयितीं । खैर गर्मी आ घाम जब मगज में बढल त शैतानियतो जागल
। लगले सोचे, केतना बढ़िया होईत की इ सेवुआ निचे ना गिरित,
ऊपर आकाश में चल जाईत । शैतान के बाण कुछ और चलल, केतना बढ़िया होईत की ऊपर से गिरे वाला हर चीज उपरे चल जाईत आ आकास में तैरत
रहित, जब मर्जी हाथ बढा के सेब लेल, हवा
में से आम उठा ल, मुर्गी अंडा देलस आ अंडा हवा में तैरत बा,
पकड़ के आमलेट बना लीं । तब तक दोसरका सेब उनकर गोड पे गिरल, मगज के तार झंझानायिल आ दिमाग के ढिबरी जलल । सोचले आमलेटवो कईसे बनी । अंडा
तुडब आ सभे माल मेटेरियल हवा हो जाई ।
अब चिंता आउर बढल, सोचले कहीं हम थूकीं आ उ हवे में लटल जाए । आ कभी उहे थूक हमार मुंह पे आयिल
त “ थूक के चाटल” कहावत चरितार्थ हो जाई । बड़ा भारी फेरा बा, आ कहीं मलमूत्र
के साथो इहे हो जाए त बड़ा भारी फेरा बा । दुनिया रंगीन हो जाई । फेर त नगरनिगम वालन
के हवा में मेहिंका जाल बांधे पड़ी साफ़ सफाई करे खातिर । न्यूटन के मुस्की आयिल । हो
जाईत त बढिए रहित सब नगरनिगमवाला देह चोर बाड़न । इनको लोग के आपन देह आ कपडा बचावे
के पड़ीत त सफाई जरुर करतन । बाकी इ होत नईखे, काहे ? हो जाईत त केतना बढ़िया रहित ।
अब न्यूटन के चिंता दोसरा ओर बढल, मगज खालीये रहे, फेर सोचे लगले । अब सोचे में केकर का
जात बा ? सभे कोई सोचेला, हवा में महल बनावेला
। इटालियन फ्लोरिंग आ मकराना के मार्बल वाला चहबच्चा में नहाला । सोचे में का जात बा,
सोच लीं की रउआ के एकदिन खातिर प्रधान मंत्री के पावर मिले त का का करब,
आ प्रधानमंत्रीये काहे । भगवानों के एक दिन आराम करा दीं । उनकर पावर लेके दुनिया चला
लीं । सोचहीं त बा, ना हिंग ना फिटकिरी, दुनियो के मालिक बन जायीं ।
न्यूटन लगले सोचे आखिर कारण का बा जे सभे टपकत जिनिस धरती ध लेत
बा ? बड़ा उल्झावेवाला सवाल बा । अईसन उलझन की पूछी मत
। इ सब सेब के करामात ह, सेब के चक्कर के फेरामें पडके एडम-इव
के स्वर्ग छुटल । उनका के बनावेवाले भगवानो एह सेब के चक्कर में बुडबक बनले । मतलब
सेब खाईला से मगज के केमिकल में कुछ उंच नीच रिएक्सन जरुर होला की बुद्धि बतासा (हवा
भरल, आ पानी में हवा हो जाए वाला) हो जाला । अब अईसन बुद्धिवाला
के पास डाक्टरो-वैद्य लगे जाए से डेरइहें, शायद एही से एगो कहावत
बा- “एक सेब रोज खाइए, डाक्टर दूर भगाइए” ।
त इहे सेब के कइल केमिकल लोचा (केमिकल रिएक्सन) न्यूटन के मगज में
भइल । कपार पे लमहर बाल राखत रहन । इ दार्शनिक आउर बुद्धिजीवी लोग पहिचान होत रहे, अबहुओं बा । लमहर बाल आ दाढ़ी राखे के । अब भारतो
में कमी नईखे टैगोर, भावे, निराला जईसन विचारक के फोटो त इहे बतावत बा । शायद
लमहर बाल आ दाढ़ी हवा में तैरत विचार के पकडे खातिर होला । लमहर बाल जईसे मोबाइल आ टीवी
के टावर । नया नया आईडिया एकरे से पकडाई, आ कहीं छटक के एने ओने
भइल त दाढ़ी में अझुरा जाए । चाणक्य के एंटीना एकदम लमहर रहे, चिकन चुलबुल बांस के जयिसन । उनकरो बुद्धि के जोग आ उत्जोग के लोहा मानल गइल
बा ।
अब न्यूटन एही एंटीना के लगले सुहुरावे (कहब त गर्मी में पसीना से
माथ ककुलात रहे) । तनी जोर पडल त दू-चार बाल उनकरे हाथ में आयिल । बुद्धि खुलल की हो
ना हो... इहे बात होखे ।
हँ हँ हँ इहे बात हो सकेला...।
हाथ के खिंचाव से बाल कबर गइल । माथ से अईसन कबरल जईसे इ सेवुआ पेडवा
के डाल से टूटल ह ।
हँ हँ हँ... ठीक इहे बात बा धरतीयो खिंचतान करत बाड़ी । बाकी हाथ कहाँ बा ?
हम त हाथ लगयिनी त बाल कबरल, एहिजा का लागल ....!!!?
तबे उनका एगो मुर्दा जात देखाई पडल । लोग करिया कपडा पहिरले कॉफिन
(लाश ढोवेवाला बक्सा) के पीछे पीछे जात रहे । अब न्यूटन के बुद्धि फेरा गइल । शायद
जान पहिचान के लोग रहन उ शवयात्रा में, इहोउठ के चललन । कब्रगाह में कब्र खोदाइल रहे ओहिजा किरिया करम क के लाश के
ओह में जयिसहीं डलाइल की इनकर बुद्धि खुलल ।
आखिर इहे कब्रगाह जीवन के अंतिम सत्य होला । एहिजा केतना जाना सिद्ध
हो गईले । मसान में औघड सन्यासी साधना करेले, सिद्धि खातिर । अब एहिजा केहू के बुद्धि खुले एहमे कवनो विशेष बात ना । त न्यूटन
के बुद्धि खुलल आ निष्कर्ष निकलल जवना के सार संक्षेप नीचे बा-
“मृत्यु जीवन के अंतिम सत्य
ह, आ मृत्यु के बाद शरीर के धरती अपना में समा लेवल
चाहेले । एह खातिर कब्र (Grave) बनावल जाला । धरती इहे कब्र में
खिंचेली । माने धरती में कवनो बल बा । इहे बल सभे चीज पे लागेला ।”
त Grave में -tion
(action) प्रत्यय लगाकेनया शब्द बनयिले Gravitation (गुरुत्व बल) । उ बल जवन पृथ्वी लगावेले आ हरेक चीज के कब्र अर्थात पृथ्वी के
ओर खिंचेले ।
अब गुरुत्व बल के खोज भ गइल । सेब के भतीया से फल बनल आ पाक के सड़
गइल आ जमीन पे गिरल जीवन चक्र के निशानी ह । अब एहमे गुरुत्व बल के खोज भइल त जरुर
न्यूटन के महानता बा । विचारक उहे जे निरर्थक से सार्थक के खोज करे । अबमिसिर जी के
लेखा ना की चौदह किताब पढ़ के, चौबीस पन्ना
निरर्थके लिखिहें । आपन मगज के कचरस दोसरा पे डलिहें ।
त मिसिर जी के आध पाव के बुद्धि से न्यूटन के टन भर बुद्धि केतना
नपाई । आ एहमे केतना डंडी मराई एकर फैसला शुद्धि पाठक लोग के कोरे ।
इतिश्री रेवाखंडे..... ।।