Monday, November 3, 2014

देवठान आ तुलसी बियाह के कथा

संकर रुख अवलोकि भवानी। प्रभु मोहि तजेउ हृदयँ अकुलानी।।
आय हाय हाय... शंकर जी के राम के बाल रूप में बिलमल देखी भवानी जी के डाह होता । तुलसीओ बाबा गज्जिबे लिखले बाड़ें । 
दुआर पे चौकी बिछल रहे... गदहबेर के समय... गांवही के 3-4 जाना के साथे चर्चा चलत रहे । शुकन सिंह हमार हरवाह हवें... कान से तनी उंच सुनेले । देह दाशा के दुबर पातर बाकी बड़ खटनिहार... उहो किनारे बइठ के ना जाने केतना सुनत रहन आ केतना गुनत रहन बाकी अचाके पूछ देलन - ए बाबा, आज देउठान ह का दो... ई का हो ला ए देवता ? 

काल्हे अंवरा त अक्षय नवमी के कथा कहले रहीं। सीधा में ढेर ठेकुआ आ कचवनिया मिलल रहे । उहे एगो प्लेट में सबहरिए रखाइल रहे । बतकही के साथे पगुरियो चलत रहे । अब शुकन चाचा के आग्रह कइसे टलाव ...  आ ओपे आउरो लोग के कहनाम कि हाँ ए बाबा, सुनाइए दीं । 

हमहूँ सुरू भइनी-   

कार्तिक के महिना में हमार आजी रोज भिनसारे दुआर पर शिवाला के इनार पे नहास... ओहिजे तुलसी जी के दीया बारस... 

जगा द राम तुलसी के भइले बिहान हो...

जे मोरा तुलसी से नेह लगयिहें रामा
जनम जनम अहिवात मिलि जयिहें हो राम... 
जगा द राम तुलसी के


हमरा बड़ा जबुन बुझाए कि हेतना फजिराहे इ पूजा कइला के का काम बा ? बाकी एतना मालुम रहे कि एही दिनवें ऊख चुसेके भी बरत आवेला
आजी पूजा करिहें... तुलसी महारानी के... 
बियाह करायिहें शालिग्राम से... ऊख के माड़ो गड़ाई... तुलसी के गाछ के औरतन जईसन सजावल जाई
फोटो-दृकपंचांग.कॉम 

चूड़ी टिकुली सेनुर सभे टिकाई ... लाल चुनरी ओढा के नवकि कन्या बना देहल जाई
मजगर खेल रहे हमरा खातिर... फेर घर भर के लोग गीत गाई-

कवना घरे तुलसी जी लिहली जनमवा
कवना घरे भयिली अहवात...
जगा द राम तुलसी के... भइले बिहान

ओही घरी हमनी के उ माड़ो के ऊख पे आपन हक जतायिब जा .... 
हई जरी (जड़) देने से चार पोर ऊख हमार... हई ऊख में सियार पदले बा... हम ना खायिब |
( ऊख जब पाक जाला त कवनो कवनो पोर से फाट जाला, ओही जगह पे सब रस इकठ्ठा हो के , सुख के लाल हो जाला... हमनी के उहे कहीं जा कि इ सियार के पादल ह,एही से फाट गइल बा ) 

होत बिहान, हमनी के ओह माड़ो में से ऊख निकाल निकाल चूस जायिब जा

हमार बाबा, बड़हन कर्मकांडी... उनके श्रीमुख से सुनल कथा के एहिजा अपना से मगज से लबरत बानी

इ कथा ब्रह्मा जी कहले... 
देवता लोग के कहला पे... 
मतस्य अवतार- वेद रक्षा ; फोटो-विकिपीडिया

ए हो देवता लोग !  जानते बाड़... बुढा गईनी... दोसरकन के जिनगी के रूप गढ़े में थाक गइल रहीं त अन्घी लाग गइल | एह सुतला में हमार मुंह खुला रह गइल 


ओह घरी एगो राक्षस ... नांव ओकर शंखासुर ... बड़ा बदेल रहे... भयंकर उत्पाती

हमार मुंह त खुला रहले रहे... उ हमार मुंह में खेलत सभे वेद लोग के उठा ले गइल... वेद लोग हमार लईका... 
अब हम बुढा से उ राकस धराये के मान के रहे !!?? उ त लेके समुन्दर के तली में समा गइल
हमरा कुछो बुझाइल ना त बिसनु भगवान भी गईनी | अब रउरे आसरा बा... सब वेदन के हमरा के लौटाईं
तब बिसनु भगवान मछली बन के समुन्दर में गइले... बड़ा घनघोर लड़ाई भइल... शंखासुर के मार के वेद के अपना साथे ले अइले


फोटो-अस्त्रोकैम्प.कॉम 

बाकी एह लड़ाई में बिसनु भगवान थाक गइले | सुस्ताये खातिर शेषनाग के शैया पे लेटले त नींद लाग गइल

नींद अस कि टूटे ना... अब सभके चिंता भइल कि भगवाने सुत जयिहें त संसार के पालन के करी
बिसनु भगवान के तुलसी से बड़ा प्रेम... सभे देवता कहले कि जब ले भगवान नईखन जागत तब ले तुलसी माई संसार में कल्याण करिहें

तुलसी जी बैकुंठ से धरती पे आ गइली ... करीब चार महीना बाद बिसनु भगवान के देह हिलल... देवता लोग लगले मंगल गावे - 


उत्तिष्ठोत्तिष्ठगोविन्द त्यजनिद्रांजगत्पते। 
त्वयिसुप्तेजगन्नाथ जगत् सुप्तमिदंभवेत्॥
उत्तिष्ठोत्तिष्ठवाराह दंष्ट्रोद्धृतवसुन्धरे।
हिरण्याक्षप्राणघातिन्त्रैलोक्येमङ्गलम्कुरु॥

अब बिसनु भगवान के नींद टूटल त तुलसी के खोजले....

सभे कहल उ त राउरे कार करत बाड़ी संसार में, अब जब रउरा जाग गईनी त उनका के ले आयीं | बिसनु भगवान उनका के लावे एह संसार में अयिले | त तुलसी नवका दुलहिन बनके उनका भा गइली | दुनो जाना के बिरह दूर भइल आ फेर तुलसी बैकुंठ पधरली | आ बिसनु भगवान आपन डिउटी... अरे संसार के पालनकरता वाला.... संभलन

अब एह दिन के संसार के लोगन तुलसी आ बिसनु के बियाह के रूप में मनावेला | आ एही दिन बिसनु भगवान नींद से उठले त एकरा के देवठान (देव- उठान) कहल जाला

नवका पौधा ऊख के... मीठ रसदार ... आ पानिफल सिंघाड़ा इहे कुल्ही पूजा में चढ़ावल जाला | कहे के त बिसनु भगवान के जागे के परब ह , बाकी देखल जाओ त इ अपना भीतर के देवत्व जगावे के परब ह | त परेम पूर्वक बिसनु-तुलसी के गीत गाईं, मीठ- मीठ ऊख चूसीं आ दुनिया में अपना के मीठ बनायीं

तुलसी लहरिया लाल, ए रामा मोरे अंगनवा
मोरे अंगनवा तुलसी जी के गछिया
ब्याह ले जयिहें शालिग्राम , ए रामा मोरे अंगनवा....



त कथा बस अतने बा... लीही बिसनु भगवान के नाव .... कहाँ तुलसी बाबा बतियावत रहीं जा तबले तुलसी माई आ गइली । जै जै हो तुलसी माई 

1 comment:

  1. शशि जी तोहार लेख आ ओह में भी भोजपुरिया मिठास बहुत अच्छा लिखले बाड़ शशि जी.भोजपुरी भाषा के उत्थान के खातिर भी बड़ा अच्छा प्रयास बा

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