Saturday, May 16, 2009

भोजपुरी गीत-संगीत के पतन

भोजपुरी गीतन के गिरत स्तर चिंतनीय विषय बा | भाषा के मिठास आज के फूहड़पन में बिला रहल बा | बाज़ार में भेड़चाल खूब बा , नयका साज़ आ टेक्नोलॉजी के युग में गीतकार आ संगीतकार आपन विधा भुला गइल बाड़न जा |
भोजपुरिया सिनेमा के आपन स्वर्णिम इतिहास रहे | इ बोली के मिठास आ दर्शक वर्ग के पसंद के मान इ रहे कि दक्षिण भारत के निर्माता लोग भी एह ओरे नजर दौडावत रहे लोग | उ जमाना में गीत के बोल पर ज्यादे धयान दियात रहे, जेह से भाषा के मिठास कभी न गड़बड़ात रहे | आ सबसे बड़ बात ओह घड़ी के रहे कि गवनिहार लोग भी भोजपुरी भाषी ना होते हुए भी, एकर मिठास में अइसन घुल जात रहन कि फरक कईल मुश्किल रहे |
सिनेमा जगत में दक्षिण भारत के वर्चस्व रहल बा, फिर भी दोसर
भाषा के गवैया जैसे मो. रफी, तलत महमूद, मुकेश, उषा मंगेशकर, लता मंगेशकर जइसन ना जाने केतना लोग भोजपुरी के मिठास पवलस लोग |
नवका पीढी के लोग हिंदी आ अंग्रेजी के सिनेमा खूब पसंद करेले, आ
नवका बाजा आ गीत के खूब चाहेले | अब बाज़ार में गिरत साख बचावे खातिर सिनेमाकार लोग फूहड़पन पर उतर गइल बाडन | गीत लिखेवाला, गावेवाला भा सुनेवाला के अइसन फौज तइयार भइल कि अश्लीलता के सब बांध तुड़ दियाइल | सस्ता आ बाजारू गाना के कारण भोजपुरी बहुत अपमानित हो रहल बा | नयका गाना चाहे फ़िल्मी होखे भा लोकगीत, आपन परिवार के साथ ना सुनल जा सके | कानफाडू आवाज में जब कवनो गवनिहार गावे ले ता बुझाला जैसे केहू छाती पर आरी चलावता | आह रे भोजपुरी, तोहर इ दशा... भाषा सभ्य समाज के ऐनक हा, बाकि भोजपुरी पे ता बिपत पड़ गइल बा, तनी बोल के देखीं नयका पीढी संग, गवांर कहा जाइब |
८० के दसक तक आवत-आवत भोजपुरी सिनेमा के बाज़ार उठे लागल | भिखारी ठाकुर के बिदेशिया आ बेटी बचवा के गीत के मिठास अबहियों पुरनका लोग के कान में गूँज जाला | अभी भी पुरान लोग आ बढ़िया संगीत सुनेवाला लोग के कान में बिदेशिया के गीत "हंसी-हंसी पनवा..." भा "जोगन बन जाइब..." गूंजेला | तलत महमूद के गावल - " लागी नाही छूटे रामा.." के मिठास होखे, चाहे मो. रफी के गावल- "सोनवा के पिंजरा..." भा "चढ़ते फगुनवा.." , सुनला प बुझाला जैसे केहू कान में मिश्री घोलत होखे |
एक देने इ मधुर संगीत बा, आ दोसरका ओरे नयका गवनीहारन के गीत... फैसला कईल आसन बा |
आपन भाषा के विकास आउर फ़िर से वोही सम्मान दिलावे खातिर इ गोहार बा... अश्लीलता से भाषा के मुक्त करीं |

3 comments:

  1. एक सांस में पढ़ गईनी राउर ब्लौग के ..
    जवन रूप में हम रौआ के जनले बाँई .. शशिजी .. ऊ रूप राउर ब्लौग में निखर के आईल बा .. बाकी एह विषय पर राउर विचार एक हाली औरी पढ़ले रहनीं ..
    वैसे ई एगो तलफत सवाल बा कि हमनी के भाषा .. हमनी के संस्कार के मतालबा अब का बा.. ?? हम अपना नवकी पीढी खातिर का बचा के राखब जा..
    भायी जी लिखायी बंद जन होखे .. ..
    --Saurabh Pandey
    (Ref: Orkut)

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  2. raur kahnam ek dum sahi ba
    par geetan ke star sudhre khatir ka kail ja sakela
    ee ho bicharniya ba
    eh par kuch prakash dalin

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